हिंदी व्याकरण को सही ढंग से समझने और लिखने के लिए विभिन्न प्रकार के चिह्नों का उपयोग किया जाता है। इन चिह्नों के माध्यम से हम वाक्यों को स्पष्टता और शुद्धता के साथ व्यक्त कर सकते हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण चिह्न है योजक चिह्न। यह लेख योजक चिह्न की परिभाषा, उसके प्रयोग और नियमों पर आधारित है, जिससे आप इस विषय को गहराई से समझ पाएंगे।
योजक चिह्न किसे कहते हैं?
योजक चिह्न वह होता है, जो दो या अधिक शब्दों को जोड़ने का कार्य करता है। इसका प्रयोग वाक्यों में शब्दों के बीच स्पष्टता लाने और सही अर्थ प्रकट करने के लिए किया जाता है। इसे अंग्रेज़ी में “connector” कहते हैं और इसे हिंदी में (-) के रूप में दर्शाया जाता है।
उदाहरण:
- माता–पिता
- दिन–रात
- सुख–दुःख
योजक चिह्न का महत्व
वाक्य में शब्दों का सही अर्थ स्पष्ट करने में योजक चिह्न महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जब दो शब्दों को मिलाकर विशेष अर्थ प्रकट करना हो, तब योजक चिह्न का प्रयोग किया जाता है। इसके अभाव में अर्थ का भ्रम पैदा हो सकता है, जैसे:
विद्याधन (विद्या रूपी धन) और विद्या–धन (विद्या और धन) – इन दोनों का अर्थ भिन्न हो जाता है, और योजक चिह्न से सही अर्थ स्पष्ट होता है।
योजक चिह्न के प्रयोग
- विपरीत अर्थ वाले शब्दों को जोड़ना: उदाहरण – दिन–रात, काला–गोरा, सुख–दुःख
- दोनों शब्द प्रधान हों और ‘और’ शब्द लुप्त हो: उदाहरण – दाल–रोटी, राधा–कृष्ण, पेड़–पत्ते
- समानार्थक शब्दों के बीच: उदाहरण – दीन–दुखी, हँसी–खुशी, मार–पीट
- दो क्रियाओं का एक साथ प्रयोग: उदाहरण – पढ़ना–लिखना, आना–जाना, खाना–पीना
- विशेषण पदों का संज्ञा के अर्थ में प्रयोग: उदाहरण – भूखा–प्यासा, अंधा–बहरा
- सार्थक और निरर्थक शब्दों के बीच: उदाहरण – रोटी–वोटी, पानी–वानी, झूठ–मूठ
- द्विरूचि वाले शब्दों के बीच: उदाहरण – राम–राम, शहर–शहर, गाँव–गाँव
- संख्याओं के बीच: उदाहरण – एक–तिहाई, सात–आठ, दस–बारह
योजक चिह्न के उदाहरण
- सुख–दुःख जीवन के दो पहलू हैं।
- मोहन ने बच्चों को चार–चार मिठाइयाँ दी।
- सृष्टि के कण–कण में राम बसे हैं।
महत्वपूर्ण नियम
- द्वंद्व और तत्पुरुष समास में योजक चिह्न का प्रयोग होता है। उदाहरण – हवन–सामग्री, देश–भक्ति
- द्विगु समास में योजक चिह्न का प्रयोग नहीं किया जाता। उदाहरण – नवग्रह, पंचवटी