कर्तार सिंह सराभा: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के युवा क्रांतिकारी

कर्तार सिंह सराभा कौन थे? (Who Was Kartar Singh Sarabha?)

कर्तार सिंह सराभा (Kartar Singh Sarabha) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महान युवा क्रांतिकारी थे, जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी। वह गदर पार्टी के प्रमुख सदस्य थे और उन्हें भारत के सबसे कम उम्र के शहीदों में से एक माना जाता है। मात्र 19 साल की उम्र में उन्हें अंग्रेजों ने फाँसी दे दी, लेकिन उनका बलिदान भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक नई चिंगारी बन गया।

प्रारंभिक जीवन (Early Life)

  • जन्म: 24 मई, 1896 को लुधियाना (पंजाब) के सराभा गाँव में।
  • परिवार: उनके पिता का नाम सरदार मंगल सिंह और माता का नाम साहिब कौर था।
  • शिक्षा: प्रारंभिक शिक्षा पंजाब में पूरी करने के बाद, वे अमेरिका चले गए, जहाँ उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में पढ़ाई की।

अमेरिका में गदर पार्टी से जुड़ाव (Association with Ghadar Party in the USA)

अमेरिका में रहते हुए, करतार सिंह ने देखा कि भारतीयों के साथ नस्लीय भेदभाव होता है। इससे वे बहुत आहत हुए और भारत की आज़ादी के लिए संघर्ष करने का निर्णय लिया।

  • 1913 में, उन्होंने गदर पार्टी (Ghadar Party) जॉइन की, जो अमेरिका और कनाडा में बसे भारतीयों द्वारा चलाई जाने वाली क्रांतिकारी संस्था थी।
  • गदर पार्टी का मुख्य उद्देश्य था भारत से अंग्रेजों को खदेड़ना
  • करतार सिंह ने “गदर” नामक अखबार में लेख लिखकर भारतीयों को जागृत किया।

भारत वापसी और क्रांतिकारी गतिविधियाँ (Return to India and Revolutionary Activities)

1914 में, प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान, गदर पार्टी के सदस्यों ने भारत आकर सशस्त्र क्रांति शुरू करने का फैसला किया।

  • करतार सिंह सराभा भारत आए और पंजाब में गुप्त रूप से क्रांतिकारी गतिविधियाँ चलाईं
  • उन्होंने सैनिकों और किसानों को अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह के लिए प्रेरित किया
  • 1915 के लाहौर षड्यंत्र (Lahore Conspiracy Case) में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

फाँसी और शहादत (Execution and Martyrdom)

  • 16 नवंबर, 1915 को, मात्र 19 साल की उम्र में, करतार सिंह सराभा को लाहौर जेल में फाँसी दे दी गई।
  • उनके अंतिम शब्द थे – “मैं मरते हुए भी अंग्रेजी साम्राज्यवाद को नष्ट करने की प्रतिज्ञा दोहराता हूँ!”
  • उनकी शहादत ने भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद जैसे क्रांतिकारियों को प्रेरित किया।

कर्तार सिंह सराभा का विरासत (Legacy of Kartar Singh Sarabha)

✅ युवाओं के प्रेरणास्रोत: इतनी कम उम्र में देश के लिए बलिदान देकर वे युवाओं के लिए मिसाल बन गए।
✅ गदर पार्टी का नायक: उन्हें गदर पार्टी का सबसे बहादुर नेता माना जाता है।
✅ साहित्य और फिल्मों में: उनके जीवन पर किताबें, डॉक्यूमेंट्री और पंजाबी फिल्म “सराभा: ए क्रांतिकारी स्टोरी” बनी है।

कर्तार सिंह सराभा के प्रसिद्ध विचार (Famous Quotes)

  • “आज़ादी की लड़ाई में हर भारतीय को अपना योगदान देना चाहिए।”
  • “मौत से डरो मत, गुलामी से डरो!”

10 महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर (FAQ)

1. करतार सिंह सराभा का जन्म कब हुआ था?

➡ 24 मई, 1896 को लुधियाना (पंजाब) के सराभा गाँव में।

2. उन्होंने किस क्रांतिकारी संगठन से जुड़ाव रखा?

➡ गदर पार्टी से, जिसकी स्थापना अमेरिका में हुई थी।

3. करतार सिंह सराभा को फाँसी कब दी गई?

➡ 16 नवंबर, 1915 को लाहौर जेल में।

4. फाँसी के समय उनकी उम्र क्या थी?

➡ मात्र 19 वर्ष

5. गदर पार्टी का मुख्य उद्देश्य क्या था?

➡ भारत से अंग्रेजों को उखाड़ फेंकना और स्वतंत्रता संग्राम को तेज करना।

6. करतार सिंह सराभा ने किस अखबार में लेख लिखे?

➡ “गदर” अखबार में, जो गदर पार्टी द्वारा प्रकाशित किया जाता था।

7. उनकी शहादत ने किन क्रांतिकारियों को प्रभावित किया?

➡ भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद और अन्य युवा क्रांतिकारियों को।

8. लाहौर षड्यंत्र केस क्या था?

➡ यह 1915 में अंग्रेजों के खिलाफ सैन्य विद्रोह की योजना थी, जिसमें करतार सिंह शामिल थे।

9. क्या करतार सिंह सराभा पर कोई फिल्म बनी है?

➡ हाँ, पंजाबी फिल्म “सराभा: ए क्रांतिकारी स्टोरी” उनके जीवन पर आधारित है।

10. उन्हें क्यों याद किया जाता है?

➡ अपनी बहादुरी, देशभक्ति और अंग्रेजों के खिलाफ निडर संघर्ष के लिए।