राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त का जीवन परिचय || Biography of national poet Maithili Sharan Gupt

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मैथिलीशरण गुप्त (3 अगस्त 1866 – 12 दिसंबर 1964) हिंदी साहित्य के महान कवि और खड़ी बोली के प्रथम महत्वपूर्ण कवि माने जाते हैं। उनकी रचनाएँ भारत के स्वतंत्रता संग्राम के समय में अत्यंत प्रभावशाली सिद्ध हुईं और इसी कारण महात्मा गांधी ने उन्हें ‘राष्ट्रकवि’ की उपाधि दी। उनकी रचनाओं ने हिंदी काव्य को एक नई दिशा दी और उन्हें पद्मभूषण से भी सम्मानित किया गया।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

मैथिलीशरण गुप्त का जन्म 3 अगस्त 1866 को उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के चिरगांव में हुआ था। उनके पिता का नाम सेठ रामचरण दास और माता का नाम काशी बाई था। गुप्त जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही प्राप्त की, जहाँ उन्होंने हिंदी, बांग्ला, और संस्कृत का अध्ययन किया। बाद में उन्होंने औपचारिक शिक्षा ग्रहण की, लेकिन उनका झुकाव खेल-कूद और पतंगबाजी की ओर अधिक था, जिसके कारण उनकी औपचारिक शिक्षा अधूरी रह गई।

विवरणजानकारी
जन्म तिथि3 अगस्त 1866
जन्म स्थानचिरगांव, झांसी जिला, उत्तर प्रदेश
पिता का नामसेठ रामचरण दास
माता का नामकाशी बाई
भाषाहिंदी, बांग्ला, संस्कृत
पेशासाहित्यकार, स्वतंत्रता सेनानी

साहित्यिक योगदान

मैथिलीशरण गुप्त ने हिंदी साहित्य में गद्य और पद्य दोनों विधाओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने खड़ी बोली को काव्य भाषा के रूप में स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई। उनकी प्रमुख काव्य रचनाओं में ‘भारत-भारती’, ‘जयद्रथ-वध’, ‘यशोधरा’, ‘रंग में भंग’ आदि शामिल हैं। ‘भारत-भारती’ ने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और इसे महात्मा गांधी द्वारा अत्यधिक सराहा गया।

काव्य रचनाप्रकाशन वर्ष
रंग में भंग1909
जयद्रथ-वध1910
शकुंतला1914
पंचवटी1915
किसान1916
यशोधरा1932
साकेत1931

महत्वपूर्ण रचनाएँ

मैथिलीशरण गुप्त की रचनाओं में प्रमुख रूप से काव्य, महाकाव्य, गीतिनाट्य, संस्मरण, और अनूदित रचनाएँ शामिल हैं। उनकी रचनाएँ आज भी हिंदी साहित्य में अत्यधिक पढ़ी और सराही जाती हैं।

विधारचनाएँ
काव्य रचनाएँरंग में भंग, जयद्रथ-वध, शकुंतला, पंचवटी, यशोधरा
महाकाव्यसाकेत
गीतिनाट्यतिलोत्तमा, चंद्रहास, अनध, गृहस्थ गीता
संस्मरणमुंशी अजमेरी
अनूदित रचनाएँस्वप्नवासवदत्ता, गीतामृत, दूत घटोत्कच

पुरस्कार और सम्मान

मैथिलीशरण गुप्त को उनके साहित्यिक योगदान के लिए कई पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजा गया। उन्हें 1954 में भारत सरकार द्वारा पद्मभूषण से सम्मानित किया गया। इसके अलावा उन्हें हिंदुस्तानी अकादमी पुरस्कार, मंगला प्रसाद पारितोषिक आदि पुरस्कार भी प्राप्त हुए।

पुरस्कारवर्ष
पद्मभूषण1954
हिंदुस्तानी अकादमी पुरस्कार1954
मंगला प्रसाद पारितोषिक1954

निधन

मैथिलीशरण गुप्त का निधन 12 दिसंबर 1964 को दिल का दौरा पड़ने से हुआ। वे 78 वर्ष के थे। उनके निधन से हिंदी साहित्य जगत ने एक महान कवि को खो दिया, लेकिन उनकी रचनाएँ आज भी उनकी अमर यादों के रूप में जीवित हैं।

मैथिलीशरण गुप्त हिंदी साहित्य के एक स्तंभ थे, जिनकी रचनाएँ आज भी हमें प्रेरित करती हैं। उनकी कविताओं में देशभक्ति, मानवता, और प्रेम का संदेश प्रमुखता से मिलता है। उनके योगदान को सदैव याद किया जाएगा, और उनके जीवन से हमें साहित्यिक प्रेरणा मिलती रहेगी।

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

  1. मैथिलीशरण गुप्त कौन थे?
    • मैथिलीशरण गुप्त हिंदी साहित्य के महान कवि और खड़ी बोली के प्रथम महत्वपूर्ण कवि थे। उन्हें ‘राष्ट्रकवि’ की उपाधि महात्मा गांधी द्वारा दी गई थी।
  2. मैथिलीशरण गुप्त का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
    • उनका जन्म 3 अगस्त 1866 को उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के चिरगांव में हुआ था।
  3. मैथिलीशरण गुप्त को ‘राष्ट्रकवि’ की उपाधि किसने और क्यों दी?
    • महात्मा गांधी ने उन्हें ‘राष्ट्रकवि’ की उपाधि दी थी क्योंकि उनकी रचनाओं ने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
  4. मैथिलीशरण गुप्त की प्रमुख काव्य रचनाएँ कौन-कौन सी हैं?
    • उनकी प्रमुख काव्य रचनाओं में ‘रंग में भंग’, ‘जयद्रथ-वध’, ‘साकेत’, ‘यशोधरा’, और ‘शकुंतला’ शामिल हैं।
  5. मैथिलीशरण गुप्त की सबसे प्रसिद्ध रचना कौन सी है?
    • उनकी सबसे प्रसिद्ध रचना ‘साकेत’ है, जो हिंदी साहित्य का एक महाकाव्य है।
  6. मैथिलीशरण गुप्त की रचनाओं का प्रमुख विषय क्या था?
    • उनकी रचनाओं का प्रमुख विषय देशभक्ति, मानवता, नारी गरिमा, और भारतीय संस्कृति था।
  7. मैथिलीशरण गुप्त को कौन-कौन से पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए?
    • उन्हें 1954 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा, उन्हें हिंदुस्तानी अकादमी पुरस्कार और मंगला प्रसाद पारितोषिक भी प्राप्त हुए।
  8. मैथिलीशरण गुप्त की शिक्षा किस प्रकार की थी?
    • गुप्त जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही प्राप्त की, जहाँ उन्होंने हिंदी, बांग्ला, और संस्कृत का अध्ययन किया। औपचारिक शिक्षा में उनका अधिक झुकाव नहीं था, इसलिए वह अधूरी रह गई।
  9. मैथिलीशरण गुप्त का निधन कब और कैसे हुआ?
    • उनका निधन 12 दिसंबर 1964 को दिल का दौरा पड़ने से हुआ।
  10. मैथिलीशरण गुप्त की रचनाओं में कौन-कौन सी विधाएँ शामिल हैं?
    • उनकी रचनाओं में काव्य, महाकाव्य, गीतिनाट्य, संस्मरण, और अनूदित रचनाएँ शामिल हैं।
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