राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर में लोक देवताओं का महत्वपूर्ण स्थान है। ये देवता आमतौर पर साधारण परिवारों में जन्मे और मानवता के प्रति अपने कार्यों के लिए पूजे जाते हैं। राजस्थान में पाबू जी, तेजा जी, मल्लिनाथ जी, गोगा जी और रामदेव जी जैसे कई प्रमुख लोक देवता हैं।
पाबू जी का जन्म 1239 ई. में जोधपुर जिले के कोलू गाँव में हुआ था। वह राठौड़ परिवार से संबंधित थे और उन्होंने राजस्थान में मानवता की सेवा की।
तेजा जी का जन्म 1074 ई. में नागौर जिले के खडनाल में हुआ था। उन्हें कृषि में योगदान देने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है और उन्होंने गायों की रक्षा के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया।
मल्लिनाथ जी का जन्म 1358 ई. में जोधपुर जिले के कोलू गाँव में हुआ था। वह राजस्थान के प्रमुख योद्धा थे और उनके नाम पर बाड़मेर में एक स्थान भी है।
गोगा जी का जन्म 946 ई. में चूरू जिले के दादरेवा में हुआ था। उन्हें साँप के काटने से सुरक्षा देने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है और वह एक नीले घोड़े पर बैठकर दाढ़ी और साँप पकड़े हुए दर्शाए जाते हैं।
रामदेव जी 14वीं सदी के राजपूत शासक थे, जिन्होंने मानवता की भलाई के लिए अपने जीवन को समर्पित किया। उन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है और उन्होंने “चोबीस वाणियाँ” नामक पुस्तक लिखी।
ये लोक देवता राजस्थान की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को परिभाषित करते हैं और उनके प्रति आस्था और सम्मान जनसामान्य में गहराई से समाहित है।