तत्पुरुष समास हिंदी व्याकरण के महत्वपूर्ण समासों में से एक है। यह समास दो पदों का मेल होता है, जहाँ पहला पद गौण और दूसरा प्रधान होता है। इस समास के विभक्ति चिन्ह लुप्त हो जाते हैं, जिससे वाक्य संक्षिप्त हो जाता है। तत्पुरुष समास का उपयोग भाषा को सरल और प्रभावी बनाने के लिए किया जाता है।
तत्पुरुष समास की परिभाषा: तत्पुरुष समास में दो शब्दों का संयोग होता है, जहाँ पहले शब्द का विभक्ति चिन्ह (को, से, में आदि) लुप्त हो जाता है। दूसरे शब्द के साथ मिलकर यह एक नया शब्द बनाता है जो वाक्य को संक्षेप और स्पष्ट करता है। उदाहरण के लिए, “ग्रामगत” का अर्थ है “ग्राम को गया हुआ।”
तत्पुरुष समास के भेद: तत्पुरुष समास को विभक्ति और कारक चिन्हों के आधार पर छह प्रकारों में विभाजित किया जाता है।
समास का प्रकार | विग्रह | उदाहरण |
---|---|---|
कर्म तत्पुरुष | “को” विभक्ति का लोप | ग्रामगत (ग्राम को गया हुआ), पदप्राप्त (पद को प्राप्त) |
करण तत्पुरुष | “से” विभक्ति का लोप | हस्तलिखित (हस्त से लिखित), बाणाहत (बाण से आहत) |
सम्प्रदान तत्पुरुष | “के लिए” विभक्ति का लोप | गुरुदक्षिणा (गुरु के लिए दक्षिणा), युद्धभूमि (युद्ध के लिए भूमि) |
अपादान तत्पुरुष | “से” (अलग होने का भाव) का लोप | पथभ्रष्ट (पथ से भ्रष्ट), ऋणमुक्त (ऋण से मुक्त) |
सम्बन्ध तत्पुरुष | “का, की, के” का लोप | गंगाजल (गंगा का जल), नगरसेठ (नगर का सेठ) |
अधिकरण तत्पुरुष | “में/पर” विभक्ति का लोप | जलमग्न (जल में मग्न), आपबीती (आप पर बीती) |
तत्पुरुष समास के उदाहरण:
समस्त पद | विग्रह |
---|---|
ग्रामगत | ग्राम को गया हुआ |
पदप्राप्त | पद को प्राप्त |
हस्तलिखित | हाथ से लिखा हुआ |
युद्धभूमि | युद्ध के लिए भूमि |
गंगाजल | गंगा का जल |
तत्पुरुष समास और कर्मधारय समास में अंतर:
विशेषता | तत्पुरुष समास | कर्मधारय समास |
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पूर्वपद और उत्तरपद के बीच संबंध | किसी विभक्ति से जुड़ा | विभक्ति चिन्ह नहीं होता |
पूर्वपद का कार्य | उत्तरपद की विशेषता बताना | उत्तरपद की विशेषता बताना |
उदाहरण | रामराज्य (राम का राज्य) | राजभक्त (राज का भक्त) |
तत्पुरुष समास भाषा को सरल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस समास का उपयोग विभक्ति और कारक चिन्हों के लोप से वाक्य को छोटा और स्पष्ट बनाने के लिए किया जाता है। इसके विभिन्न प्रकार और उनके उदाहरण व्याकरण को सटीक और प्रभावी ढंग से समझने में सहायक होते हैं।
FAQs
- तत्पुरुष समास क्या है?
Ans. – तत्पुरुष समास वह समास है जिसमें दो पदों का समाहार होता है और पहले पद का विभक्ति चिन्ह (जैसे ‘को’, ‘से’, ‘में’ आदि) लोप हो जाता है। दूसरे पद के साथ मिलकर यह एक नया शब्द बनाता है। - तत्पुरुष समास के कितने भेद होते हैं?
Ans. – तत्पुरुष समास के 6 भेद होते हैं:- कर्म तत्पुरुष
- करण तत्पुरुष
- सम्प्रदान तत्पुरुष
- अपादान तत्पुरुष
- सम्बन्ध तत्पुरुष
- अधिकरण तत्पुरुष
- कर्म तत्पुरुष समास क्या होता है?
Ans. – कर्म तत्पुरुष में ‘को’ विभक्ति का लोप होता है। उदाहरण: “ग्रामगत” का विग्रह होगा “ग्राम को गया हुआ।” - करण तत्पुरुष समास का उदाहरण क्या है?
Ans. – करण तत्पुरुष समास में ‘से’ विभक्ति का लोप होता है। उदाहरण: “हस्तलिखित” का अर्थ है “हाथ से लिखा हुआ।” - सम्बन्ध तत्पुरुष समास किसे कहते हैं?
Ans. – इसमें ‘का, की, के’ विभक्ति का लोप होता है। उदाहरण: “गंगाजल” का अर्थ है “गंगा का जल।” - तत्पुरुष समास और कर्मधारय समास में क्या अंतर है?
Ans. – तत्पुरुष समास में विभक्ति चिन्ह लुप्त हो जाता है, जबकि कर्मधारय समास में ऐसा नहीं होता। तत्पुरुष समास संबंध या क्रिया दर्शाता है जबकि कर्मधारय समास में विशेषण-विशेष्य का संबंध होता है। - सम्प्रदान तत्पुरुष समास का एक उदाहरण दें।
Ans. – सम्प्रदान तत्पुरुष में ‘के लिए’ विभक्ति का लोप होता है। उदाहरण: “गुरुदक्षिणा” का अर्थ है “गुरु के लिए दक्षिणा।” - अपादान तत्पुरुष का क्या मतलब है?
Ans. – अपादान तत्पुरुष में ‘से’ (अलग होने का भाव) का लोप होता है। उदाहरण: “पथभ्रष्ट” का अर्थ है “पथ से भ्रष्ट।” - अधिकरण तत्पुरुष समास का एक उदाहरण क्या होगा?
Ans. – अधिकरण तत्पुरुष में ‘में’ या ‘पर’ विभक्ति का लोप होता है। उदाहरण: “जलमग्न” का अर्थ है “जल में डूबा हुआ।” - तत्पुरुष समास का प्रयोग कब किया जाता है?
Ans. – तत्पुरुष समास का प्रयोग तब होता है जब दो पदों का संयोग करके एक नया अर्थ बनाया जाता है और पहले पद के विभक्ति चिन्ह को हटा दिया जाता है। - तत्पुरुष समास के अध्ययन से क्या लाभ है?
Ans. – तत्पुरुष समास व्याकरण को सरल और संक्षिप्त रूप में समझने में मदद करता है। यह शब्दों के निर्माण की प्रक्रिया को स्पष्ट करता है और भाषा को प्रभावी बनाता है।